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हिन्दी कविता hindi kavita मेरी भी व्यथा सुनो मै सरकारी ऑफिस हूं अब मै लबालब भर गया हूं कठिन पहचाना बेमन खुद जाना दिल लेखनी मचल जाता आज की नारी सक्षम हूं परिश्रम हूं

Hindi पहचाना जाता हूं Poems