मै सरकारी ऑफिस हूं, अब मै लबालब भर गया हूं। मै सरकारी ऑफिस हूं, अब मै लबालब भर गया हूं।
रिश्तों के रंग होते हैं निराले, कुछ उजले, कुछ काले दुख में परखे जाते रिश्ते रिश्तों के रंग होते हैं निराले, कुछ उजले, कुछ काले दुख में परखे जाते रिश्त...
दुनिया ने तो फैसले भी सुना दिए। दुनिया ने तो फैसले भी सुना दिए।
आज अपनी लेखनी से उसे उकेरा है, आज अपनी लेखनी से उसे उकेरा है,
जन्म से ही समझे इन्सान है नश्वर ये तन आता जाता रहता धन जन्म से ही समझे इन्सान है नश्वर ये तन आता जाता रहता धन
मैंने मानवता को जिंदा रखा है फिर भी, मैं व्यर्थ के आरोप जहन में लपेटे हूँ। मैंने मानवता को जिंदा रखा है फिर भी, मैं व्यर्थ के आरोप जहन में लपेटे हूँ।